Types of Database Designs – Conceptual, Logical and Physical Schemas

Types of Database Designs – जब हम पहली बार Database Create करते हैं, तब हम अक्सर Database के Design पर कोई ध्‍यान नहीं देते हैं। ऐसा मुख्‍यत: तब होता है, जब हम कोई Small Application Develop करते हैं, जिसमें Limited Data Store करने होते हैं, या फिर हम Front-End की Coding करने के लिए उत्सुक होते हैं। Database जितना छोटा होता है, उसका Design उतना ही कम महत्वपूर्ण होता है।

फिर भी Database का ठीक तरीके से Design ना होना कुछ परेशानियां तो छोटे Database में भी पैदा करता है। बिना व्यवस्थित Design के Database का Data जैसे-जैसे बढ़ता जाता है, विभिन्न प्रकार की परेशानियां पैदा होने लगती हैं। इसलिए एक Professional Database Management System में Database को अच्छी तरह से Design करना काफी जरूरी होता है, ताकि जब उस Database में भविष्‍य में Data की मात्रा बढ़ जाए, तब भी कम से कम परेशानियां पैदा हों।

Database का Design वास्तव में System Design करने का एक पूरा क्रमिक Process होता है। हम हमारे Database को कितनी अच्छी तरह से Design कर पाते हैं, ये इस बात पर निर्भर करता है कि हमने उस Database Environment को कितनी अच्छी तरह से समझा है। एक Business System में जो कुछ भी होता है, उन सभी बातों को Database के माध्‍यम से Represent करने का काम एक Database Designer का होता है। इसलिए Database भले ही छोटा हो, हमें Database को ठीक तरह से Design करने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि उस Database को Upgrade करने, Maintain करने व Implement करने में परेशानी पैदा ना हो। हम Database Design Process को मुख्‍यत: तीन स्वतंत्र भागों में बांट सकते हैं:

Conceptual Design

इस Design में हमें उन सभी Requirements की Specification तैयार करनी होती है, जिसे हम End-User के काम करने के तरीके द्वारा Identify करते हैं। इस Design में हमें End-User को ध्‍यान में रखना होता है और इस तरह का Concept तैयार करना होता है, जिससे End-User के काम करने का तरीका निश्चित होता है। इस Design को तैयार करने में Entity-Relationship Model का सबसे ज्‍यादा उपयोग किया जाता है।

Logical Design

Conceptual Design के आधार पर हमें उपयुक्त DBMS Software का चयन करना होता है, जिसमें इस Conceptual Design को पूरी तरह से व आसानी से Implement किया जा सके। इस Design में हमें Technically ये निश्चित करना होता है कि Database में Redundant Data कम से कम हों और Database के Data Reliable हो।

Physical Implementation

इस Design में हम Logical Design के आधार पर Physical Objects जैसे कि Tables, Views आदि Create करते हैं, जो कि Design को उपयोगी बनाते हैं। साथ ही इसी Design में हम Database का Front-End भी Create करते हैं।

विभिन्न प्रकार के Systems में Use किए जाने वाले Methodology के आधार पर In Design Phases में अन्तर आता रहता है, लेकिन फिर भी किसी भी System को Design करते समय हमें इन तीनों Phases को ध्‍यान में रखना चाहिए। चाहे हमने जितने भी Design बनाए हों, लेकिन फिर भी इन में से किसी भी Concept को भूल जाना काफी स्वाभाविक बात है। यदि हम इनमें से किसी भी Phase को छोड कर Database Design करते हैं, तो हमें इन Phases को बाद में फिर से Use करना पडता है, क्‍योंकि इनमें से किसी भी Phase को छोडने का मतलब है कि हमारा Database पूरी तरह से ठीक Design Form में नहीं है।

हालांकि ये तीनों ही Phase अपने आप में स्वतंत्र हैं, फिर भी ये हमेंशा एक ही तरीके से उपयोग में नहीं आते हैं। उदाहरण के लिए यदि हमें लगता है कि Physical Database Layer का कोई Particular Feature हमारे Design पर प्रभाव डाल सकता है, तो हम इस जानकारी को Logical-Design Phase में उपयोग में लेकर अपने Design को ठीक कर सकते हैं और हमें अक्सर ऐसा करना भी पडता है। (Types of Database Designs – Conceptual, Logical and Physical Schemas )

Oracle 8i/9i SQL/PLSQL in Hindiये Article इस वेबसाईट पर Selling हेतु उपलब्‍ध EBook Oracle 8i/9i SQL/PLSQL in Hindi से लिया गया है। इसलिए यदि ये Article आपके लिए उपयोगी रहा, तो निश्चित रूप से ये पुस्तक भी आपके लिए काफी उपयोगी साबित होगी। 

Oracle 8i/9i SQL/PLSQL in Hindi | Page: 587 | Format: PDF

BUY NOW GET DEMO REVIEWS