हम किसी भी Web Site के Front End को मूल रूप से तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं:
Structure ( HTML)
किसी Web Site के इस हिस्से को HTML (Hyper Text Markup Language) द्वारा Control किया जाता है। इस हिस्से में ये तय किया जाता है कि किसी Web Site के विभिन्न Contents Semantically किस तरह से दिखाई देंगे। यानी Web Site के Contents में कौनसी Line को Heading बनाया जाएगा और कौनसे Contents Paragraph के रूप में दिखाई देंगे। कौनसे Contents एक List के रूप में दिखाई देंगे, तो कौनसे Contents को Bold या Italic बनाकर उन्हें Emphasize किया जाएगा।
HTML किसी भी Document के Content के Structure से संबंधित होता है। इसमें किसी भी तरह की Designing को Use नहीं किया जाता है न ही करना चाहिए।
Style (CSS)
किसी Web Site के इस हिस्से को CSS (Cascading Style Sheet) द्वारा Control किया जाता है। इस हिस्से में ये तय किया जाता है कि HTML Document में जिन Contents को विभिन्न प्रकार के HTML Elements के बीच Enclose किया गया है, वे Visually किस तरह से दिखाई देंगे। यानी Heading कितना बडा दिखाई देगा, किस Color में दिखाई देगा, Page में कहां पर दिखाई देगा। Document के अन्य Contents जैसे कि Paragraph के Text किस तरह से व किस Color में दिखाई देंगे। विभिन्न List Items कैसे दिखाई देंगे। आदि।
CSS किसी भी HTML Document के Styling, Design व Layout से संबंधित होता है, इसलिए इसमें किसी भी तरह के Content को Specify नहीं किया जाता न ही करना चाहिए।
Behavior (JavaScript)
किसी Web Site के इस हिस्से को JavaScript द्वारा Control किया जाता है। ये एक Client Side Scripting Language होती है, जिसका Interpreter Web Browser में पहले से ही बना हुआ होता है। ये Language इस बात को तय करता है कि Document के विभिन्न Contents जिन्हें HTML Elements के बीच Enclose किया गया है, किस तरह से Behave करेंगे। कब दिखाई देंगे और किस स्थिति में Hide हो जाऐंगे। कब उनकी Style बदल जाएगी और कब उनकी Position बदल जाएगी। यानी JavaScript किसी HTML Document के Action व Reaction को Control करता है।
JavaScript किसी भी HTML Document के Behavior से संबंधित होता है और ये HTML तथा CSS को Control करने का काम करता है ताकि Document को User के लिए ज्यादा Interactive बनाया जा सके।
अब सवाल ये है कि एक HTML Document के Front End को तीन अलग हिस्सों में क्यों Divide किया गया है? तो इस सवाल का जवाब बस इतना है कि ऐसा करके हम किसी Web Document को ज्यादा बेहतर तरीके से व कम से कम समय में Develop व आसानी से Manage व Update कर सकते हैं।
यदि हम चाहें तो इस विद्गाय पर 50 से ज्यादा पन्नों का Theoretical Content लिख सकते हैं, लेकिन इसकी जरूरत नहीं है। क्योंकि किसी Web Site को Develop करने के लिए हमें इतना ध्यान रखना काफी है कि किस तरह की जरूरत को पूरा करने के लिए क्या और कैसे करना चाहिए। जो करना चाहिए, उसे क्यों करना चाहिए, इसके बारे में ज्यादा Details में जाने की जरूरत नहीं है क्योंकि इससे केवल समय बर्बाद होगा।
बस इतना ध्यान रखिए कि जैसे-जैसे समय बदलता है, Technology बदलती है और हमें Latest Technology को Follow करना चाहिए क्योंकि Latest Technology का विकास इसीलिए किया जाता है क्योंकि पुरानी Technology में किसी ना किसी तरह की परेशानी होती है और उन परेच्चानियों के बारे में ज्यादा Details से जानने की जरूरत नहीं है।
दूसरी बात ये है कि Web Development से जुडी हुई Companies में जब आप जॉब करने के लिए जाते हैं या यदि आप स्वयं अपनी Company बनाते हैं, जिसमें आप अपने Customer की Requirements को पूरा करने के लिए कोई Web Site या Application Develop करते हैं, तब सबसे महत्वपूर्ण चीज समय होती है।
आपके Customer के लिए Technology का Background नहीं बल्कि उसकी Requirement से संबंधित Technology ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। इसलिए Technology के Background की Details को समझने के बजाय Current Technology को अच्छी तरह से समझना आपके व आपके Client दोनों के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि Current Technology के अनुसार आप अपने Client की Requirements को कम से कम समय में Best तरीके से पूरा करते हैं, जिससे आपको आर्थिक रूप से ज्यादा फायदा होता है और आपके Client को मानसिक रूप से।
इसलिए इस पुस्तक में हम केवल उन्हीं चीजों के बारे में बात कर रहे हैं, जो Best व Fast Web Development के लिए जरूरी है। उदाहरण के लिए हम इस पुस्तक में इस विद्गाय पर कोई बात नहीं कर रहे हैं कि HTML, CSS, JavaScript आदि का विकास कैसे हुआ, इन Technologies को किसने, क्यों और कैसे Develop किया, इन Technologies को क्यों उपयोग में लेना चाहिए। आदि, आदि।
और हम ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि हम जानते हैं कि Web Development करने के लिए हमें इन्हीं Technologies को उपयोग में लेना होता है और जब हमें इन Technologies को उपयोग में लेना ही है, तो सीधे ही Topic पर क्यों न आया जाए। क्यों बेवजह की Details में समय बर्बाद किया जाए।
चूंकि Current Web Development Technology में HTML5, CSS व JavaScript को एक Standard के रूप में Frontend Develop करने के लिए उपयोग में लिया जा रहा है और ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि इन Technologies के अलावा जिन Technologies या Techniques को पहले Web Development के लिए उपयोग में लिया जा रहा था, उनकी वजह से एक Developer को किसी ना किसी तरह की परेशानी होती ही थी और इसीलिए ऐसे Standard बनाए गए, ताकि किसी Web Developer को Web Development करते समय कम से कम परेशानी Face करनी पडे और वह कम से कम समय में अपना Best Development कर सके।
ये Article इस वेबसाईट पर Selling हेतु उपलब्ध EBook HTML5 with CSS3 in Hindi से लिया गया है। इसलिए यदि ये Article आपके लिए उपयोगी रहा, तो निश्चित रूप से ये पुस्तक भी आपके लिए काफी उपयोगी साबित होगी।
HTML5 with CSS3 in Hindi | Page: 481 | Format: PDF