HTML5 in Hindi: वर्तमान समय में हम देख सकते हैं कि लगभग हर Device, Digital Electronics पर आधारित है और हर Digital Device का एक Software होता है, जिससे उस Device को Operate किया जाता है, फिर भले ही वह Device कोई Calculator हो, Mobile Phone हो, Tablet PC हो, Computer हो या फिर General Electronic Devices जैसे कि CD Player, DVD Player, DTH आदि हो और हम ये भी देख सकते हैं कि ये सभी Devices आपस में एक दूसरे से विभिन्न Communication माध्यमों जैसे कि Cable, Internet, Bluetooth आदि से Connect भी हो सकते हैं।
लेकिन कोई भी Device किसी भी अन्य Device से Directly Communication नहीं कर सकता, बल्कि विभिन्न Devices को आपस में Communication करवाने के लिए किसी न किसी तरह के Software की जरूरत होती है क्योंकि ये Software ही विभिन्न Devices को आपस में Communication करने की क्षमता प्रदान करते हैं और इस प्रकार के Software को System Software या Operating System Software कहा जाता है।
चूंकि विभिन्न प्रकार के Electronic Devices को अलग-अलग Companies ने Develop किया था, इसलिए उन Companies ने अलग-अलग प्रकार के Devices को आसानी से Operate करने योग्य बनाने के लिए अलग-अलग प्रकार के Operating Systems जैसे कि Windows, Linux, Unix, MacOS, iOS, Android, Symbion आदि Design किए, जो कि किसी भी अन्य Device के Operating System से किसी भी तरह से Compatible नहीं थे। इसलिए विभिन्न Devices को आपस में Connect करवाने के लिए सभी Companies ने अपने Operating System को ही इस प्रकार से Modify किया कि वे विभिन्न प्रकार के Devices से Connect हो सकें।
हालांकि Operating System Modification करने से Device Inter-Connectivity की समस्या तो समाप्त हो गई यानी एक Device किसी भी दूसरे Device से Connect तो हो सकता था, लेकिन Software Compatibility अभी भी एक बडी समस्या थी। यानी जो Software Windows Operating System के लिए Develop किया गया होता था, वह Software कभी भी As it Is Linux Operating System पर Run नहीं हो सकता था। इसी तरह से जो Software Blackberry Mobile के लिए Develop किया गया होता था, वह Software कभी भी Android या iOS Platform पर Directly Run नहीं हो सकता।
इस समस्या पर विभिन्न बडी कम्पनियों का ध्यान गया और इस प्रकार की समस्या से बचने के लिए विभिन्न बडी कम्पनियों जैसे कि Microsoft, Google, Yahoo, Apple, Dell, Intel, IBM, AMD आदि ने मिलकर Software Compatibility के लिए Standard Develop करने की कोशिश की, ताकि बनने वाले Software विभिन्न प्रकार के Devices पर समान रूप से उपयोगी हो सकें।
Software Compatibility की समस्या इसलिए थी क्योंकि विभिन्न कम्पनियों ने विभिन्न प्रकार की Devices बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के Hardware Architecture Use किए थे और उन Devices को उपयोग में लेने के लिए अलग-अलग प्रकार के Operating Systems Develop किए थे। साथ ही इन Operating System पर विभिन्न प्रकार की जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाए जाने वाले Application Software Develop करने हेतु विभिन्न प्रकार की Programming Languages भी विकसित की थीं, जो कि किसी भी तरह से एक दूसरे के Compatible नहीं हो सकती थीं। जिसका परिणाम ये हुआ कि एक ही प्रकार की जरूरत को यदि दो अलग प्रकार की Device पर पूरा किया जाए, तो भी उनके Data को एक दूसरे पर Exchange नहीं करके उपयोग में नहीं लिया जा सकता था।
उदाहरण के लिए यदि हम Linux Operating System पर कोई Document File Create करें तो उस Document File को हम Windows Operating System पर बिना किसी तरह का Conversion किए हुए ज्यों का त्यों उपयोग में ले ही नहीं सकते थे और यही बात अन्य Platforms पर भी Apply होती थी।
यानी Operating System Modification द्वारा अलग-अलग प्रकार के Devices तो आपस में एक दूसरे से Connect होकर एक दूसरे को Data Transfer कर सकते थे लेकिन इस Connectivity का कोई फायदा नहीं था। क्योंकि यदि दो Devices आपस में Connect हो भी जाए और उनके बीच Data Transfer भी हो जाए, तब भी दूसरा Device, पहले Device से आने वाले Data को समझ ही नही सकता था, क्योंकि दोनों Devices पर Data को Read व Access करने का तरीका अलग-अलग था, जो कि पूरी तरह से उन Devices हेतु Develop किए गए Application Software के Data Structure व Programming Language के Compiler व Interpreter पर आधारित था।
यानी विभिन्न Devices के बीच Software Compatibility केवल एक ही स्थिति में प्राप्त हो सकती थी, जबकि जाने अनजाने विभिन्न Device Platform के लिए किसी Programming Language को Common तरीके से Develop किया गया हो और वास्तव में ऐसा हुआ भी था।
हालांकि विभिन्न Devices के लिए Operating Systems Develop करते समय उन Companies को इस बात का बिल्कुल भी अन्दाजा नहीं था कि भविष्य में ये सभी Devices आपस में किसी तरह का Communication करते हुए अपने Data को एक दूसरे के साथ Share करेंगे, लेकिन फिर भी लगभग सभी Operating Systems को शुरू से ही इस प्रकार का Design व Develop किया गया था कि वे Network व World Wide Web से Connect हो सकते थे व उनमें Internet चल सकता था।
यानी Internet व उस Internet को Access करने के लिए Develop किया गया Software (जिसे सामान्यत: Web Browser कहा जाता है।) सभी प्रकार की Devices के Operating System में Common रूप से उपलब्ध था और ये Software Common रूप से Web Programming Languages जैसे कि HTML, CSS, JavaScript को Support करता था।
चूंकि सभी Companies ने अपने Devices पर Internet Connectivity व Web Surfing की सुविधा प्राप्त करने व Internet Access करने के लिए उनके Operating System पर आधारित किसी न किसी प्रकार का Web Browser जरूर Develop किया था। इसलिए Web Browser व Web Programming Languages (HTML, CSS, JavaScript) ही एकमात्र ऐसा तरीका थे, जिससे Software Compatibility प्राप्त हो सकती थी।
क्योंकि सभी Companies ने अपने Operating System के लिए एक Web Browser बनाया था जो कि विभिन्न प्रकार के Webpages को किसी भी Platform व किसी भी Device पर Access व Manipulate कर सकते थे और यदि ये Web Browsers विभिन्न प्रकार के Webpages को सभी प्रकार के Platforms पर समान रूप से Access व Manipulate कर सकते थे, तो इन Web Browsers को व इन Web Browsers द्वारा Common रूप से Supported HTML, CSS, JavaScript जैसी Programming Languages को इस प्रकार से विकसित किया जा सकता था, जिसमें विभिन्न प्रकार की User Requirements को पूरा करने के लिए Desktop Application के स्थान पर ऐसे Application बनाए जा सकें, जो कि Web Browser में Run हो और इस प्रकार के Application को Web Application कहा गया।
इस बात को विभिन्न बडी कम्पनियों ने अच्छी तरह से समझ लिया था कि चूंकि विभिन्न प्रकार की Devices के लिए विभिन्न प्रकार के Operating System होने के बावजूद सभी पर एक Web Browser Common रूप से उपलब्ध था और ये सभी Web Browsers HTML, CSS व JavaScript जैसी Common Programming Languages को Support करते थे, इसलिए यदि इन Programming Languages को ही विकसित किया जाए, तो ऐसे Application Software बनाए जा सकते थे, जो कि पूरी तरह से Device Architecture व Platform Independent व पूरी तरह से एक दूसरे के Compatible हों।
परिणामस्वरूप इन तीनों Languages को एक Standard तरीके से इतना विकसित किया जाने लगा और हमारे सामने HTML, CSS व JavaScript के विभिन्न Versions जैसे कि HTML2, HTML3, HTML4 व XHTML1.0, CSS1, CSS2 तथा JavaScript के विभिन्न Versions आए और HTML5 व CSS3 इसी Web Development Languages Series की Latest Language है।
वर्तमान समय में Software Development की स्थिति ये हो गई है कि अब Platform Dependent Application Software बनाने के लिए Use की जाने वाली Programming Languages के स्थान पर इन तीनों Languages को Use करते हुए Platform Independent Application Software बनाए जाने लगे हैं, जिन्हें सामान्य भाषा में Web Applications कहते हैं।
बल्कि विभिन्न बडी कम्पनियों द्वारा किया ये गया है कि जिन Programming Languages जैसे कि Java, Visual Basic, Visual C++ आदि को पहले Desktop Applications बनाने के लिए Design किया गया था, उन्हीं को इस प्रकार से Modify कर दिया गया है कि इन्हीं Programming Languages में अब Web Applications बनाए जाते हैं और ऐसा इसलिए किया जाने लगा है क्योंकि इन Languages में बने हुए Web Applications, Directly Web Browser में Run होते हैं और Web Applications Platform व Architecture Independent होते हैं तथा बडी ही आसानी से किसी भी Device पर Run हो सकते हैं।
वर्तमान समय में आने वाले सभी Operating Systems के नए Versions जैसे कि Windows7, Windows8, Android, MacOS, Symbion, Linux, Unix आदि सभी Platforms Latest Web Programming Language यानी HTML5 व CSS3 को पूरी तरह से Support करते हैं। यहां तक कि अब जितने भी Device जैसे कि Mobile Phones, Tablet आदि बन रहे हैं, वे सभी HTML5 व CSS3 को Support करते हैं और इनके ज्यादातर Application Software भी इन्हीं Web Languages में बनाए जाते हैं।
यानी अब स्थिति ये हो गई है कि यदि आप Software Development Field में हैं और आप इन Latest Type के Digital Devices जैसे कि Tablets या Mobile Phones के लिए Software Develop करना चाहते हैं, तो आपको HTML5 व CSS3 जैसी Latest Web Languages को सीख्ाना ही होगा और मुझे Personally ये लगता है कि बहुत ही जल्दी Desktop Technology पूरी तरह से Web Technology पर Move करेगी। यानी Developers विभिन्न Desktop Technology को छोडकर Web Technology में ही विभिन्न प्रकार के Application Software Develop करने लगेंगे।
हालांकि Desktop Technology भी Market में रहेंगी, लेकिन वे केवल Low Level System Development के लिए ही उपयोग में ली जाएगी और Low Level System Development का Market Scope हमेंशा से बहुत कम रहा है क्योंकि 95% से ज्यादा Commercial Software User Requirement को पूरा करने के लिए बनाए जाते हैं, जिन पर जल्दी ही Web Technologies का एकाधिकार हो जाएगा और ऐसा इसलिए होगा, क्योंकि जिन Requirements को पूरा करने के लिए विभिन्न Desktop Technologies (C, C++, Java, VB, etc…) का प्रयोग करके विभिन्न प्रकार के Desktop Applications बनाए जाते हैं, उन सभी User Requirements को बडी ही आसानी से इन Web Technologies (HTML5, CSS3, JavaScript, Node.js, etc…) का प्रयोग करते हुए भी पूरा किया जा सकता है, लेकिन जिन Requirements को पूरा करने के लिए विभिन्न Web Technologies का प्रयोग करके विभिन्न प्रकार के Web Applications बनाए जाते हैं, उन सभी User Requirements को उतनी ही आसानी से इन Desktop Technologies का प्रयोग करते हुए पूरा नहीं किया जा सकता।
यही वजह है कि वर्तमान समय में ज्यादातर Programming Languages Web Technology की तरफ Move हो रही हैं और लगभग सभी Companies अपनी Programming Languages को Web Technology के Compatible बनाने लगी हैं। उदाहरण के लिए Microsoft ने अपनी सभी Programming Languages को Web आधारित बना दिया है।
यानी हम Microsoft के VB.NET, C#.NET, ASP.NET आदि का प्रयोग करके ऐसे Applications Create कर सकते हैं, जो बडी ही आसानी से Web के लिए Available हो जाए। इसी तरह से Java ने JSP, Servlets, EJB, JavaBeans, J2ME, J2EE जैसी Technology Develop करके Java को Web के लिए ज्यादा से ज्यादा बेहतर करने की कोशिश ही है। यानी सभी लोग Web Technology की तरफ ही Move हो रहे हैं और ये सभी लोग Common रूप से HTML5, XML व CSS3 जैसी तकनीकों को Use करते हुए Web Compatible Software Develop करने की सुविधा देते हैं।
HTML5 हालांकि एक Web Language है, लेकिन ये केवल Websites बनाने के लिए Use की जाने वाली Language के रूप में ही उपयोगी नहीं है, बल्कि अब इसका प्रयोग हर Latest Device में किया जाने लगा है और हर नई Device व Operating System को HTML5 Supported बनाया जाता है, ताकि बडी ही आसानी से ऐसे Applications Develop किए जा सकें, जो विभिन्न Devices के बीच आपस में Communication कर सकें व एक दूसरे के Data की Sharing कर सके।
यहां तक कि अब कुछ ऐसे Automobiles (Car, Bikes, etc…) भी बनने लगे हैं, जिन्हें Extra Intelligent व Smart बनाने के लिए उनमें HTML5 को Support किया जाने लगा है, ताकि ऐसे Software बनाए जा सकें, जिससे वे अपने आस-पास की अन्य Automobiles से Communication कर सकें और अपने स्तर पर विभिन्न प्रकार के Decisions ले सकें।
HTML5 Satellite के माध्यम से GPS System का प्रयोग करते हुए Geolocation जैसी Advance API को Use कर सकता है जिसके माध्यम से Smart Software बनाए जा सकते हैं, जिन्हें जिस Device में Use किया जाता है, वे Device अपने आस&पास की Information रखते हैं।
HTML5 हमें ऐसे Web Apps बनाने की सुविधा देता है, जो कि अपने Device Screen Size and Resolution पर Depend नहीं करता बल्कि हम HTML5 का प्रयोग करके ऐसे Web Apps Create कर सकते हैं, जो User के Device के Screen Size व Resolution के आधार पर स्वयं को Adjust कर लेता है। यानी हम HTML5 का प्रयोग करके Responsive Web Apps Create कर सकते हैं।
HTML5 Touch Interface को Support करता है। यानी वर्तमान समय में जितने भी Touch Devices जैसे कि Touch Mobiles, Tables आदि हैं, उनके लिए यदि आप Touch Software बनाना चाहते हैं, तो HTML5 द्वारा ऐसे Application बडी ही आसानी से बन सकते हैं क्योंकि HTML5 स्वय Touch Support करता है।
HTML5 Camera व Video Access जैसी Facilities Provide करता है। यानी यदि आप अपने Web App में Camera व Video को Support करवाना चाहते हैं, तो अब आपको अलग से कोई Plug-in Add करने की जरूरत नहीं है। HTML5 इन्हें Directly Support करता है।
जल्दी ही HTML5 Bluetooth व अन्य Communication Media को Directly Support करने लगेगा। उस स्थिति में एक Web App Directly किसी अन्य Device से Remotely Operate हो सकेगा। यानी आपको Keyboard व Mouse को छूने की जरूरत नहीं रहेगी बल्कि आप Bluetooth द्वारा भी किसी Web App को Handle कर सकेंगे।
वर्तमान समय में उपलब्ध सभी Mostly Used Web Browsers जैसे कि Google Chrome, Mozilla Firefox, Apple Safari, Opera, Internet Explorer आदि HTML5 को Support करते हैं और इन Web Browsers की Working को Modify करने यानी इनके लिए Plug-ins बनाने की सुविधा HTML5 Coding द्वारा प्रदान करते हैं। यानी यदि आप HTML5, CSS3 व JavaScript जानते हैं, तो आप बडी ही आसानी से इन Web Browsers को अपनी जरूरत के अनुसार Modify करने के लिए Extensions Create कर सकते हैं।
साथ ही HTML5 अपने सभी पिछले Web Browsers के Compatible है। यानी यदि आप HTML5 का प्रयोग करते हैं, तो बडी ही आसानी से अपने Web Apps को ऐसा बना सकते हैं कि वे किसी भी पुराने Web Browser पर Exactly उसी तरह से दिखाई दें, जिस तरह से नए Web Browser पर दिखाई देते हैं।
HTML5 Video व Audio को Directly Support करता है। यानी अब Audio व Video को अपने Web App में Use करने के लिए आपको अलग से किसी Plug-in की जरूरत नहीं है।
HTML5 अब Local Storage की सुविधा देता है, जो कि पहले के किसी भी HTML Version में सम्भव नहीं था। यानी अब आप अपने Web Application के Data को अपने Local Computer पर Save कर सकते हैं। साथ ही विभिन्न प्रकार के Web Browser Related कामों जैसे कि Drag and Drop, Online Page Editing जैसे कई Special Type के कामों को Perform कर सकते हैं, जो कि पहले सम्भव नहीं था।
HTML5 SVG Support करता है, जिसकी वजह से हम HTML5 का प्रयोग करके Games जैसे Software Create कर सकते हैं और ये Software किसी भी Platform पर Depend नहीं होते। परिणामस्वरूप एक ही Game विभिन्न प्रकार के Operating System पर Online व Offline Run हो सकता है। यहां तक कि हम अपने Web App में Animation जैसी सुविधाए भी प्राप्त कर सकते हैं, जो कि पहले केवल Adobe Flash जैसे Plug-in द्वारा ही सम्भव था।
इन सभी के अलावा और भी बहुत सारे Features हैं, जिन्हें धीरे-धीरे विभिन्न प्रकार की Devices में उपयोग में लिया जाने लगा है। यानी HTML5, CSS3 व JavaScript ही ज्यादातर Software के Development का भविष्य है और कोई भी Professional यदि Software Development Field में अपना Career जारी रखना चाहता है, तो उसे HTML5 को आज नहीं तो कल सीखना ही होगा।
हालांकि HTML5 अपने आप में काफी बडा विषय है जो कि विभिन्न Programming Sectors को Cover करता है और HTML5 के सभी Features को उपयोग में लेने के लिए न केवल HTML5 बल्कि CSS3 व JavaScript का भी अच्छा ज्ञान होना जरूरी है। चूंकि JavaScript अपने आप में एक बहुत बडा व जटिल विषय है, इसलिए इस पुस्तक में हमने केवल HTML5 व CSS3 को ही Cover किया है। साथ ही HTML5 के जो Concepts JavaScript से Directly Associated हैं, उन्हें हमने इस पुस्तक में Cover नहीं किया है क्योंकि उन Features को उपयोग में लेने के लिए JavaScript का अच्छा ज्ञान होना जरूरी है और JavaScript के लिए हम अलग से एक पुस्तक तैयार कर रहे हैं। फिर भी HTML5 के Basics को तथा CSS3 को ये पुस्तक बेहतर तरीके से Cover करती है और बिना इन Basics को जाने हुए हम HTML5 की पूरी क्षमताओं का उपयोग नहीं कर सकते।
इस पुस्तक को PDF EBook के रूप में खरीदने से सम्बंधित किसी भी तरह की समस्या के समाधान हेतु आप Mobile Number: 097994-55505 पर Call कर सकते हैं, जहां मैं स्वयं आपके पुस्तक खरीदने से सम्बंधित किसी भी तरह के सवाल का जवाब देता हूं अथवा किसी भी तरह के Confusion को Solve करता हूं।
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हालांकि HTML5 को फिलहाल किसी भी University के Syllabus में Directly Support नहीं किया गया है, लेकिन फिर भी ये पुस्तक विभिन्न Degree Level Course जैसे कि BCA, PGDCA, MCA, O-Level, A-Level, B-Level करने वाले Students के लिए भी काफी उपयोगी है क्योंकि इसके Concepts Web Development से संबंधित हैं और सभी Universities के Syllabus में Web Development एक Subject के रूप में जरूर होता है।
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