Learning English is easy than learning Hindi. How?

क्‍या वास्‍तव में English सीखना ज्‍यादा आसान है हिन्‍दी सीखने की तुलना में क्‍योंकि एक International Survey में ये बात साबित हुई है कि हिन्‍दी सीखना तुलनात्‍मक रूप से ज्‍यादा कठिन है English सीखने के, विषेश रूप से उन लोगों के लिए, जिनकी मातृ भाषा यानी घर में व आप-पडौस में बोली जाने वाली मूल भाषा हिन्‍दी नहीं है और यही वजह है कि स्‍वयं भारत में भी हिन्‍दी भाषा को सभी लोग बोल, समझ, लिख व पढ नहीं पाते, जबकि हिन्‍दी भारत की राष्‍ट्र भाषा है।

क्‍यों?

इस सवाल का साधारण सा जवाब ये है कि हिन्‍दी भाषा का जन्‍म हुआ है संस्‍कृत भाषा से, जो कि दुनियां की सबसे ज्‍यादा शुद्ध व्‍याकरण वाली भाषा है, जबकि English भाषा का विकास वास्‍तव में General बोलचाल की भाषा के रूप में हुआ है। इस वजह से English भाषा तुलनात्‍मक रूप से सरल है क्‍योंकि इसे सामान्‍य बोलचाल के रूप में ज्‍यादा आसानी से उपयोग में लिया जा सकता है।

साथ ही Survey करने वालों ने पाया कि मात्र 2000 से 3000 अंग्रेजी शब्‍दों का प्रयोग करते हुए लगभग 90 प्रतिशत बातें कही जा सकती हैं और इनमें से ज्‍यादातर शब्‍दों का अर्थ किसी भी वाक्‍य में एक समान ही रहता है।

जबकि हिन्‍दी भाषा के एक ही शब्‍द का अर्थ अलग-अलग वाक्‍यों में और उनकी अलग-अलग Position के आधार पर बदल जाता है, साथ ही स्‍वयं एक ही शब्‍द के कई-कई पर्यायवाची भी होते हैं, जिससे किसी भी गैर-हिन्‍दी भाषी व्‍यक्ति के लिए हिन्‍दी भाषा के किसी अमुक शब्‍द का किसी Particular Sentence में क्‍या अर्थ होगा, इस बात को निश्चित रूप से समझना काफी Confusing हो जाता है।

अंग्रेजी भाषा ज्‍यादा सरल है हिन्‍दी भाषा से, इस बात का एक साधारण सा प्रत्‍यक्ष प्रमाण तो यही है कि हिन्‍दी भाषा की Alphabet में ‘अ’ से ‘ज्ञ’ तक लगभग 52 अक्षर होते हैं जबकि अंग्रेजी भाषा की  Alphabet में ‘A’ से ‘Z’ तक कुल 26 अक्षर ही होते हैं।

यानी अंग्रेजी भाषा, हिन्‍दी भाषा की तुलना में 50% तो वैसे ही सरल हो जाती है क्‍योंकि अंग्रेजी सीखने वालों को मात्र 26 Unique Characters को ही पहचानना सीखना होता है, जबकि हिन्‍दी भाषा में 52 Unique Characters को पहचाने बिना हम हिन्‍दी भाषा को उपयोग में ही नहीं ले सकते।

इसके अलावा हिन्‍दी भाषा में कुल 12 मात्राऐं होती हैं, जबकि English में कुल पांच Characters (A, E, I, O, U) के माध्‍यम से इन 12 मात्राओं द्वारा Fulfill की जाने वाली जरूरतों को पूरा कर लिया जाता है।

साथ ही हिन्‍दी भाषा की इन 12 मात्राओं के साथ जब सभी अक्षरों की बारहखडी बनाई जाती है, तो कुल Unique Characters की संख्‍या इतनी ज्‍यादा हो जाती है, कि किसी भी गैर-हिन्‍दी भाषी व्‍यक्ति के लिए हिन्‍दी भाषा एक प्रकार से Puzzle की तरह हो जाती है।

तो फिर क्‍या कारण है कि सामान्‍य हिन्‍दी भाषी भारतीय लोगों के लिए अंग्रेजी भाषा एक बडी समस्‍या की तरह है?

इसके कुछ मुख्‍य लेकिन महत्‍वपूर्ण कारण के बारे में ध्‍यान देना जरूरी है, क्‍योंकि जब तक समस्‍या को ठीक तरह से न समझा जाए, उसका समाधान प्राप्‍त नहीं किया जा सकता।

हिन्‍दी भाषी भारतीय लोग अंग्रेजी भाषा इसलिए जल्‍दी से नहीं सीख पाते क्‍योंकि सरकारी स्‍कूलों में अभी भी अंग्रेजी भाषा को पहली कक्षा से पढाना शुरू नहीं किया जाता, जबकि हम देख सकते हैं कि प्राईवेट स्‍कूलों में जो बच्‍चे पढते हैं, उनके लिए अंग्रेजी भाषा नहीं बल्कि हिन्‍दी भाषा एक प्रकार से समस्‍या की तरह होती है।

यानी अंग्रेजी स्‍कूलों में पढने वाले बच्‍चे हालांकि अपने घर में व आप-पास के माहौल में हिन्‍दी भाषा में ही बात करते हैं, लेकिन पढने, लिखने व समझने की जहां तक बात होती है, तो ये बच्‍चे हिन्‍दी भाषा में ज्‍यादा परेशानी महसूस करते हैं, अंग्रेजी भाषा की तुलना में।

हिन्‍दी भाषी भारतीय लोगों के लिए अंग्रेजी भाषा एक कठिनाई इसलिए भी है, क्‍योंकि स्‍कूलों में हिन्‍दी भाषा को सामान्‍य बोलचाल की भाषा के रूप में पढाया जाता है जबकि अंग्रेजी भाषा सिखाने के लिए Tense, Active Voice, Passive Voice, जैसे विभिन्‍न प्रकार के Grammatical Concepts को पहले Clear करने की कोशिश की जाती है और यही सबसे बडी वजह है अंग्रेजी न सीख पाने की।

क्‍योंकि जब वास्‍तविक जीवन में हम अंग्रेजी भाषा को उपयोग में लेते हैं, तब हम किसी प्रकार के Grammar Rule को Follow नहीं करते, ठीक उसी तरह से जिस तरह से जब हम हिन्‍दी भाषा को उपयोग में लेते हैं, तब हम किसी प्रकार के Grammar Rule को Follow नहीं करते। लेकिन इन स्‍कूलों में हिन्‍दी भाषा को सामान्‍य बोलचाल की भाषा के रूप में सिखाया जाता है जबकि अंग्रेजी भाषा को व्‍याकरण के रूप में।

यही कारण है कि भारतीय Students को कभी Confidence ही नहीं आ पाता कि वे अंग्रेजी भाषा को भी सामान्‍य बोलचाल की भाषा के रूप में उपयोग में ले सकते हैं, क्‍योंकि उन्‍हें लगता है कि बिना अंग्रेजी का व्‍याकरण समझे हुए, वे अंग्रेजी को बोल, लिख, पढ व समझ ही नहीं सकते। जबकि सच्‍चाई ये है कि जब वास्‍तव में हम बोलने, लिखने, पढने या समझने के लिए अंग्रेजी भाषा को उपयोग में लेते हैं, तब Practically इन Grammar Rules को पूरी तरह से Follow ही नहीं किया जा सकता और न ही करने की जरूरत होती है।

क्‍यों?

क्‍योंकि किसी भी भाषा का मूल उद्देश्‍य अपनी भावनाओं व विचारों का आदान-प्रदान करना मात्र होता है और यदि बिना व्‍याकरण को ध्‍यान में रखे हुए अपनी भावनाओं व विचारों का आदान-प्रदान आसानी से किया जा सकता है, तो व्‍याकरण के नियमों को ध्‍यान में रखने की जरूरत ही क्‍या है।

यदि मैं आपसे एक Practical सवाल पुछूं कि आपने हिन्‍दी भाषा को उपयोग में लेना पहले सीखा या पहले आपने हिन्‍दी भाषा के व्‍याकरण को सीखा? तो क्‍या जवाब देंगे आप।

यदि आप हिन्‍दी के प्रोफेसर नहीं हैं, तो निश्चित रूप से आपका जवाब यही होगा कि आपने हिन्‍दी भाषा को उपयोग में लेना पहले सीखा है जबकि अभी भी आपको हिन्‍दी भाषा के व्‍याकरण का कोई विशेष ज्ञान नहीं है, लेकिन फिर भी आप हिन्‍दी भाषा को बिना किसी परेशानी के उपयोग में लेते हैं, हिन्‍दी पढते हैं, लिखते हैं, बोलते हैं और सुनते व समझते हैं।

यानी अंग्रेजी भाषा सीखने के लिए आपको निश्चित रूप से उन English Grammatical Rules को Follow करने की जरूरत नहीं है, जिन्‍हें सरकारी स्‍कूलों में सिखाया जा रहा है।

तो फिर सही तरीका क्‍या है अंग्रेजी सीखने का?

इस सवाल के जवाब में मैं फिर से आपसे एक सवाल पुछना चाहूंगा कि किस तरीके को Use किया था आपने हिन्‍दी भाषा सीखने के लिए या उस भाषा को सीखने के लिए, जिसे आप अपने घर में या आस-पडौस में उपयोग में लेते हैं?

शायद आपने कभी ध्‍यान ही न दिया हो इस बात पर, लेकिन इसी सवाल के जवाब में आपकी अंग्रेजी सीखने की समस्‍या का समाधान भी है।

वास्‍तव में आपने हिन्‍दी भाषा सीखने के लिए Directly कोई तरीका Follow नहीं किया था, लेकिन Indirectly हम सभी ने एक तरीका Follow किया है और वह तरीका है Appropriate Environment में Copy and Repeat करने का।

हां! उपयुक्‍त माहौल में Copy and Repeat करना ही वह तरीका है, जिसका प्रयोग करके हम सीखते हैं।

जब हम छोटे बच्‍चे थे और बोलना भी नहीं जानते थे, तो हमारी मां, पिताजी व अन्‍य लोग हमारे सामने बातें किया करते थे, बोला करते थे और हम अनजाने में ही उनके जैसे बोलने की कोशिश करने लगे। परिणामस्‍वरूप हम बोलना सीख गए, बात करना सीख गए, चीजों का नाम सीख गए और फिर टूटी-फूटी भाषा में तुतलाते हुए ही सही हमने उन्‍हीं शब्‍दों को Copy व Repeat करना शुरू किया, जो हमारे सामने बोला गया।

इस Copy व Repeat के तरीके को उपयोग में लेकर हम हिन्‍दी भाषा तो सीख गए, लेकिन इस तरीके को भूल गए क्‍योंकि ये तरीका Indirectly काम कर रहा था। साथ ही जब हम छोटे थे, तो हममें कोई शर्म या भय भी नहीं था, जिसकी वजह से Copy व Repeat करने में हमें शर्म नहीं आती थी और  Copy व Repeat करते समय होने वाली गलतियों से हमारी Insult हो जाएगी, इस बात का भय भी नहीं था।

जबकि यही तरीका फिर से उपयोग में लेकर हम अंग्रेजी भाषा भी बडी ही आसानी से सीख सकते हैं, लेकिन शर्त केवल एक ही है कि शर्म व भय को छोडकर Copy व Repeat तकनीक का प्रयोग किया जाए। क्‍योंकि ये दोनों वे कमजोरियां हैं, जिनकी वजह से हम हमेंशा हिचकिचाहट महसूस करते हैं और ये दोनों कमजोरियां ही हमारे अंग्रेजी भाषा सीखने में सबसे बडी बाधक साबित होती हैं।

Copy व Repeat के साथ ही एक और चीज की जरूरत होती है, और वह चीज है माहौल।

जब हम छोटे थे, तब हिन्‍दी भाषा या घर में बोली जाने वाली भाषा का एक माहौल था, जिसकी वजह से उस घरेलु भाषा को बिना किसी परेशानी के आसानी से सीखा जा सका। लेकिन जब हम अंग्रेजी भाषा सीखने की बात करते हैं, तब हमें माहौल बनाने की जरूरत पड सकती है क्‍योंकि सामान्‍यत: हमारे आप-पास के लोग अंग्रेजी भाषी नहीं होते। ऐसे में अग्रानुसार कुछ टिप्‍स् को Follow करके आप भी अपने आस-पास अंग्रेजी का वातावरण बना सकते हैं और ज्‍यादा तेजी से व ज्‍यादा Confidence के साथ अंग्रेजी भाषा सीख सकते हैं, जो कि वास्‍तव में Practically Use की जाती है।

  • जितना सम्‍भव हो सके उतना अंग्रेजी पढिए, फिर भले ही आपको उस अंग्रेजी Article, Book, Newspaper, आदि का एक शब्‍द भी समझ में न आए।
  • जितना सम्‍भव हो सके उतना अंग्रेजी लिखिए, फिर भले ही आप द्वारा लिखे गए Content में चाहे जितनी SpellingGrammatical Errors क्‍यों न हों।
  • अंग्रेजी NEWS CHANNEL व MOVIES देखिए, भले ही News में बताई जा रही जानकारी का एक शब्‍द भी आपके समझ में न आए या Movie का एक भी Dialog आपके समझ में न आए।
  • अंग्रेजी SONGS सुनिए और साथ ही उसे गुनगुनाने की कोशिश कीजिए, फिर भले ही आपको उस Song का एक भी शब्‍द समझ में न आए।
  • बेझिझक और बेशर्म होकर अंग्रेजी बोलिए फिर भले ही आपकी अंग्रेजी कितनी ही बुरी व Grammatically कितनी ही खराब क्‍यों न हो। साथ ही हिन्‍दी बोलते समय भी ज्‍यादा से ज्‍यादा अंग्रेजी शब्‍दों का प्रयोग कीजिए।

आप सोचेंगे कि इन पांच नियमों को Follow करने से अंग्रेजी में अच्‍छी पकड कैसे बन जाएगी जबकि आपको कुछ समझ में ही नहीं आ रहा होगा। तो आपकी इस शंका का जवाब ये है कि वैज्ञानिकों ने Prove किया है और हमारा स्‍वयं का अनुभव भी यही है कि:

जब किसी नई चीज के विषय में कई इंद्रियां एक साथ एकाग्रता के साथ समझने के लिए प्रेरित होती हैं, तो उस चीज को किसी भी अन्‍य चीज की तुलना में ज्‍यादा तेजी से व बेहतर तरीके से सीखा व समझा जा सकता है।

और यही बात अंग्रेजी सीखने पर भी लागू होती है।

यानी जब आप उपरोक्‍त पांचों तरीकों को Follow करते हैं, तो वास्‍तव में आप अंग्रेजी सीखने के लिए अपनी पांच इंद्रियों आंख (अंग्रेजी News, Movie, Article, Book, Newspaper आदि देखने के लिए), कान (अंग्रेजी News, Movie, Songs आदि सुनने के लिए), जुबान (अंग्रेजी पढने व बोलने के लिए) तथा हाथ (अंग्रेजी लिखने के लिए) उपयोग में ले रहे होते हैं और जब आप एक ही विषय को समझने यानी अंग्रेजी सीखने के लिए अपनी कई इंद्रियों व अंगों को उपयोग में ले र‍हे होते हैं, तब आप निश्चित रूप से Copy and Repeat तरीके को ज्‍यादा बेहतर तरीके से उपयोग में ले रहे होते हैं, जो कि किसी भी नई चीज को सीखने का एकमात्र तरीका है।

तो, यदि आपको लगता है कि उपरोक्‍त 5 तरीके उपयोग में लेते हुए अंग्रेजी सीखने की एक कोशिश करने में कोई बुराई नहीं है, तो अभी से लग जाईए क्‍योंकि मेरा 10 साल का Coaching Experience तो यही कहता है कि कुछ भी सीखने का केवल एक ही तरीका है और वह है:

Appropriate Environment में Copy and Repeat करना।

फिर भले ही आपको अंग्रेजी भाषा सीखनी हो, या C, C++, Java जैसी कोई Programming Language अथवा HTML, CSS, JavaScript, jQuery, PHP जैसी कोई Web Development से सम्‍बंधित Scripting Language, ये नियम सभी के लिए समान रूप से Apply होता है।

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Comments

  1. thank you sir .

  2. Very good

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