5 Simple Characteristics of a Good Program Design

Characteristics of a Good Program: जब हम कोई प्रोग्राम लिखते हैं, तो Program लिखते समय हमें कई बिंदुओं को ध्यान में रखना होता है, ताकि हमारा Program उपयोगी व आसानी से Manage व Extend करने योग्‍य हो। यानी हर अच्‍छे Program की कुछ Characteristics या Features होते हैं, जिनके आधार पर इस बात को तय किया जाता है कि कोई प्रोग्राम कितना उपयोगी व आसानी से Manage व Update करने योग्‍य है। सामान्‍यत: किसी भी प्रोग्राम की Characteristics को निम्नानुसार कुछ खास बिन्दुओं के आधार पर तय किया जाता हैं:

(Reliability) विश्वसनीयता

यह जरूरी है कि प्रोग्राम बिना किसी व्यवधान के वही काम करे जिसके लिये उसे बनाया गया है। यानी हमारा प्रोग्राम कभी भी किसी भी स्थिति में गलत Output Generate नहीं करना चाहिए न ही Crash होना चाहिए। जैसे माना कि हमने एक एसा प्रोग्राम बनाया जिसमें किसी भिन्नात्मक संख्‍या x में किसी संख्‍या का भाग दिया जाता है जबकि जिस संख्‍या का भाग दिया जाता है, वह किसी वेरियेबल में Stored है और इस Variable का मान एक-एक करके कम हो रहा है। इस स्थिति में ऐक समय ऐसा आएगा, जब उस Variable का मान घटते-घटते शून्य हो जाएगा।

परिणामस्‍वरूप इस बार जब x में इस Variable में Stored शून्‍य का भाग दिया जाएगा, तो एसी दशा में संख्‍या का प्राप्‍त होने वाला भागफल अनन्त हो जाएगा क्योंकि किसी भी संख्‍या में शून्य का भाग देने पर भागफल अनन्त प्राप्त होता है, जो कि सम्‍भव ही नहीं है और होना भी नहीं चाहिए।  इसलिए हमारे प्रोग्राम में कभी भी इस प्रकार की गलतियां न हो, इस बात का हमें काफी ध्यान रखना होता है, क्‍योंकि इस प्रकार की गलतियों को Logical Errors के नाम से जाना जाता है और Logical Errors को Debug करना सबसे मुश्किल काम होता है, क्‍योंकि Logical Error हमेंशा Unknown Errors होती हैं, जिनका आसानी से पता लगाया जाना सम्‍भव नहीं होता।

इसलिए प्रोग्राम हमेंशा वही Processed Data Return करेगा, जिसके लिए उसे बनाया गया है, इस विश्‍वसनीयता को हमें हमारे प्रोग्राम में बनाए रखना जरूरी होता है, जो किसी भी अच्‍छे प्रोग्राम का सबसे मुख्‍य Characteristic या Feature होता है।

(Flexibility) लचीलापन

हमें हमेंशा अपने प्रोग्राम को Flexibility को ध्‍यान में रखते हुए Develop करना चाहिए। क्‍योंकि समय व सुविधा के अनुसार जरूरतें बदलती रहती हैं, इसलिए जिस Client ने हमने Program Develop करवाया है, यदि भविष्‍य में कभी उस Client की जरूरतें बदल जाऐं, तो हमारा Program इतना लचीला होना चाहिए कि हम आसानी से उस प्रोग्राम को नई जरूरतों के आधार पर Modify कर सकें। यानी हमें हमारा प्रोग्राम इतना Flexible होना चाहिए, कि जब भी भविष्‍य में कभी जरूरत पडे, तो हम हमारे प्रोग्राम में नया कुछ जोड सकें अथवा अनावश्‍यक चीजों को हटा सकें। प्रोग्राम की इसी Flexibility को Program की Maintainability भी कहा जाता है।

जैसे कि यदि हम किसी बैंक या बीमा कम्‍पनी के लिए कोई ऐसा प्रोग्राम बनाते हैं जिसमें में 20 वर्षों का ब्याज निकालने की व्यवस्था है, तो उसमें ऐसी सुविधा भी होनी चाहिये कि आवश्‍यकता होने पर कुछ फेर बदल करके 25 वर्षों का अथवा 15 वर्षों का भी ब्याज निकाला जा सके। यानी केवल ब्‍याज का प्रतिशत बदल जाने की वजह से ही बैंक या बीमा कम्‍पनी को फिर से नया प्रोग्राम बनवाने की जरूरत नहीं पडनी चाहिए या हमें फिर से नया प्रोग्राम बनाने की जरूरत नहीं पडनी चाहिए।

(Portability)

प्रोग्राम इस तरह लिखा होना चाहिये कि एक Computer पर Develop किया गया Program बिना फिर से Re-Compile किए हुए किसी दूसरे Computer पर भी आसानी से Execute हो सके। क्‍योंकि जरूरी नहीं है कि हम एक प्रोग्रामर के रूप में हम जिस Computer Architecture and Organization तथा Operating System का प्रयोग करते हुए किसी Client के लिए Application Develop कर रहे हैं, उस Client के पास भी Exactly उसी समान Architecture (Processor, RAM, Motherboard, etc…) का Computer System हो जिस पर वही Operating System Installed हो जो हमारे Computer पर Installed है।

इस‍ स्थिति में यदि हमारा Program Portable न हो, तो वह प्रोग्राम केवल उसी Computer पर Run होगा, जिस पर उसे बनाया गया है। जबकि Client के Computer पर उसे तभी Run किया जा सकता है, जबकि हम उस प्रोग्राम को फिर से Client के Computer System पर Re-Compile करें, जो कि किसी भी स्थिति में उपयुक्‍त नहीं हो सकता। इसलिए प्रोग्राम बनाते समय हमें इस बात को भी ध्‍यान में रखना होता है कि एक अच्‍छा Program हमेंशा Portable होता है, जिसे समान Architecture व समान Operating System Generation के किसी भी Computer पर रन किया जा सके।

(Readability) सुपाठ्‌यता

प्रोग्राम में जगह-जगह पर कई ऐसी टिप्पणियां होनी चाहिये, जिससे प्रोग्राम का Flow व प्रोग्राम का उद्‌देश्‍य पता चलता रहे। यानी Program बनाते समय जरूरत व सुविधानुसार Program का Documentation करते रहना चाहिए ताकि यदि कभी  भविष्‍य में उसी प्रोग्राम को फिर से Modify करने की जरूरत पडे, अथवा उसी प्रोग्राम को किसी दूसरे प्रोग्रामर द्वारा Modify करने की जरूरत पडे, तो उस प्रोग्राम को आसानी से Modify  किया जा सके।

(Performance)

कोई भी Program उसी स्थिति में एक अच्‍छा प्रोग्राम माना जा सकता है जबकि वह काम से कम समय में अच्छा से अच्छा व Accurate Processed Result Provide करे। यदि कोई प्रोग्राम सामान्‍य सा Calculation Perform करने में भी काफी ज्‍यादा समय लेता है, तो हम उस प्रोग्राम को अच्‍छा प्रोंग्राम नहीं कह सकते। इसीलिए किसी भी Programming Language का प्रयोग करते हुए प्रोग्राम क्‍यों न Develop किया जा रहा हो, Program में हमें जरूरत के अनुसार विभिन्‍न प्रकार के उपयुक्‍त Data Structures व Algorithms का प्रयोग करना चाहिए।

यदि उपरोक्‍त पांचों बिन्‍दुओं में से किसी भी बिन्‍दु को आप Ignore करते हैं, तो आपका प्रोग्राम एक अच्‍छा प्रोग्राम नहीं माना जा सकता। इसलिए जब भी कभी आप कोई प्रोग्राम बनाएं, अपने प्रोग्राम को उपरोक्‍त सभी बिन्‍दुओं को ध्‍यान में रखते हुए Design व Develop करें, ताकि आपका Program Characteristics of a Good Program Design के सभी Features से युक्‍त हो।

Computer Program Develop करना अपने आप में एक कला है, क्‍योंकि जब तक हम किसी Computer Program को Real Life से Relate करना नहीं सीखते, तब तक हम एक अच्‍छा Program Create नहीं कर सकते और जब तक हम एक अच्‍छा Program Create नहीं कर सकते, तब तक हम एक अच्‍छा Programmer नहीं बन सकते। इसलिए जरूरी है कि हम न केवल Programming Concepts को समझें बल्कि उन्‍हें Real Life से Connect करते हुए Application Program Develop करना सीखें और इस जरूरत को पूरा करने के लिए आप हमारी पुस्‍तक C Programming Language in Hindi पढ सकते हैं जो कि न केवल आपको Programming सिखाती है बल्कि Real Life Problems को किस प्रकार से Programs द्वारा Solve किया जाता है, इस विषय में भी पर्याप्‍त Discussion करती है, जो कि एक नए Programmer के लिए समझना भी उतना ही जरूरी होता है जितना किसी Experienced Programmer के लिए। (Characteristics of a Good Program)

Meaning of a Computer Program - Simple Explaination
Basic Structure of C Program - Only 9 Sections.

C Programming Language in Hindi - BccFalna.com ये Article इस वेबसाईट पर Selling हेतु उपलब्‍ध EBook  C Programming Language in Hindi से लिया गया है। इसलिए यदि ये Article आपके लिए उपयोगी रहा, तो निश्चित रूप से ये पुस्तक भी आपके लिए काफी उपयोगी साबित होगी। 

C Programming Language in Hindi | Page: 477 + 265 | Format: PDF

BUY NOW GET DEMO REVIEWS